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Mount Kailash an exciting journey…
कैलाश पर्वत (Mount Kailash) और पवित्र मानसरोवर झील हिंदू धार्मिक मान्यताओं का अटूट हिस्सा हैं।
कैलाश पर्वत की ऊंचाई 6600 मीटर से अधिक है, जो दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एवरेस्ट से लगभग 2200 मीटर कम है.
कैलाश पर्वत के पश्चिम तथा दक्षिण में मानसरोवर तथा राक्षस ताल झील हैं।
ब्रह्म ताल का पानी मीठा है, जबकि राक्षस ताल का पानी खारा. यही वजह है कि यह जीव जंतु भी नहीं दिखाई देते. माना जाता है कि ब्रह्म ताल साकारात्मक जबकि, राक्षस ताल नकारात्मक ऊर्जा का केंद्र है…
कैलाश पर्वत (Mount Kailash) के बारे में बताया जाता हैं की यहां समय तेजी से बीतता हैं।
यहां आने वाले यात्रियों ओर वैज्ञानिकों ने अपने बाल और नाखून को बहुत तेजी से बढ़ते हुए पाया हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋशभदेव ने भी यहां निर्वाण प्राप्त किया था।
1936 के अंदर रूस के एक कर्मचारी ने जब कैलाश पर्वत पर चढ़ने की कोशिश की तब उन्होंने
पाया की उनको भ्रम हो रहा है की वो कभी इस पर चढ़ते और कभी उतर जाते इस वजह वह वापस लौट आए…
कैलाश पर्वत (Mount Kailash) के आसपास अध्ययन कर रहे वैज्ञानिकों ने बताया कि यहां पर एकअलौकिक ताकत का प्रवाह होता है
कहने को यह भी कहा जा रहा है ग्यारहवीं सदी के अंदर एक तिब्बती व्यक्ति पर चढ़ने में सफल हुआ था उसका नाम मिलारेपा था
शिव के पर्वत से जुड़े अनेक रहस्य है जिन पर अभी भी वैज्ञानिक हर आए दिन रिसर्च करते रहते हैं.. लेकिन ऋषि मुनियों का मानना है कि भगवान की लीला को समझना इंसान के बस की बात नहीं है..
जो भी व्यक्ति कैलाश पर्वत (Mount Kailash) के पास जाता हैं..
उसे अपने आप में ही एक आध्यात्मिक ऊर्जा और स्कारतमकता का एहसास होता हैं..
जो अपने आप में ही एक अदबुध अनुभव हैं….