अक्सर हमने कभी न कभी यक्ष का जिक्र सुना ही होगा …
इन्हे निधि पति यानी की खजाने की रक्षा करने वाले म जिसनेया है ..
ये कई प्रकार की जादुई शक्तियों के मालिक होते है …
ये देखने मैं बेहद सुंदर आकर्षक अपने आप को किसी भी रूप मैं ढाल देने वाले ऐसे जीव है जिनका जिक्र हमे हमारे पुराणों और वेदों मैं भी देखने को मिलता है ..
यक्षों एक प्रकार के पौराणिक चरित्र हैं जिनका जिक्र महाभारत और रामायण मैं भी सुनने को मिलता है ..
यक्षों को राक्षसों की श्रेणी का ही माना जाता है, लेकिन फर्क सिर्फ इतना ही है की वे मनुष्यों के विरोधी नहीं होते, जैसे राक्षस होते है। माना जाता है कि प्रारम्भ में दो प्रकार के राक्षस होते थे; एक जो रक्षा करते थे वे यक्ष कहलाये तथा दूसरे यज्ञों में बाधा उपस्थित करने वाले राक्षस कहलाये।
यक्ष का शाब्दिक अर्थ होता है ‘जादू की शक्ति’।
हिन्दू धर्मग्रन्थो में एक अच्छे यक्ष का उदाहरण मिलता है जिसे कुबेर कहते हैं तथा जो धन-सम्पदा में अतुलनीय थे, कुबेर को आज भी धन संपदा के लिए भारत में पूजा जाता है ..जो की एक राक्षस रावण का भाई था ….
एक अन्य यक्ष का प्रसंग महाभारत में भी मिलता है। जब पाण्डव दूसरे वनवास के समय वन-वन भटक रहे थे तब एक यक्ष से उनकी भेंट हुई जो जंगल के एक तालाब मैं रहता था और उसके तालाब का पानी पीने के बाद पांडवो की मृत्यु हो गई थी सिवाय युधिष्ठिर को छोड़कर…
यक्ष के पूछे गए सवालों का जवाब देने के बाद युधिष्ठिर ने अपने चारो भाई अर्जुन, नकुल ,भीम,शहदेव को दुबारा पुनर्जीवित करवाया था..
इसके बाद हमे ये पता चलता है की यक्ष कितने शक्तिशाली और मायावी होते थे ….
यक्षो को अक्सर जंगलों के संरक्षक के रूप मैं देखा जाता है …
कई किवनदंतियों मैं यक्षों का जिक्र जंगल के संरक्षक के तौर पर भी देखा गया है …
यक्षों की तरह ही यक्षणीनियो का जिक्र भी हम कई बार सुनते है …
जिनका प्रयोग मानव अपने खुद के लालच को पूरा करने के लिए उनकी पूजा करके करते है ..
जी हां, “इन यक्षों और यक्षिणियो को अक्सर कई मनुष्य सांसारिक सुविधा की अपनी इच्छा पूर्ति के लिए भी इनकी पूजा कर इन्हे सिद्ध कर इनका प्रयोग करते है “..
क्योंकि इन्हें निधि पति भी कहा गया है…
जिसके चलते धरती लोक पर कई मनुष्य इन्हे धन संपत्ति या फिर गुप्त खजानों का पता लगाने के लिए भी इनकी पूजा कर इन्हे सिद्ध करते है …