दिल्ली सल्तनत Delhi Sultanate की एक ऐसी राजकुमारी जिसे हो गया विष्णु भगवान के मूर्ति स्वरूप से प्यार और वह उन्हें अपना सर्वस्व समझ सब कुछ त्याग कर उनके पीछे कर्नाटक के मेलकोट आ पहुंची….
यह सच्ची कहानी है दिल्ली सल्तनत Delhi Sultanate की राजकुमारी बीबी नचियार की जो विष्णु भगवान के प्यार में ऐसी खोयी कि उनके पीछे-पीछे वह सब कुछ त्याग कर कर्नाटक के मेलकोट आ पहुंची…
इस घटना की शुरुआत होती है जब मालिक काफूर ने दक्षिण भारत पर आक्रमण किया, उसने श्रीरंगम पर कब्जा कर लिया और वहां से धन को लूट लिया
उसने मंदिर में मौजूद भगवान विष्णु की मूर्ति को हटा दिया और मंदिर के खजाने गहने और आभूषण लूट लिए
मंदिर से लूटे गए खजाने और आभूषणों के साथ-साथ मूर्ति को जब दिल्ली भेजा गया
तो अधिकांश स्वर्ण मूर्तियों को पिघलाकर सुल्तान के खजाने में जमा कर दिया गया
लेकिन जब राजकुमारी ने विष्णु भगवान Lord Vishnu की मूर्ति को देखा
तू वह उसे मूर्ति को देख मंत्र मुग्ध हो बैठी और उसने सुल्तान से विनती की कि वह उसे न पिघलाई और उसे खिलौने के रूप में खेलने के लिए दे दे…
सुल्तान ने अपनी बेटी की बात मान विष्णु भगवान की मूर्ति को उसे खेलने के लिए दे दिया
धीरे-धीरे राजकुमारी को विष्णु भगवान Lord Vishnu की मूर्ति से काफी लगाव हो गया
और वह विष्णु भगवान के मूर्ति स्वरूप को ही अपना सर्वस्व बना बैठी..
लेकिन एक दिन कर्नाटक के मेल कोर्ट की यात्रा कर रहे रामानुज को भगवान नारायण ने उनके स्वप्न में प्रकट होकर उन्हें मेल कोर्ट में श्री चेलुवा नारायण की उत्सव मूर्ति के चोरी होने की घटना दिखाई जिसमें उसे यह बताया गया कि इस समय वह मूर्ति दिल्ली किस सुल्तान के महल में रखी गई है
तब श्री रामानुज तुरंत दिल्ली के लिए रवाना हुए और सुल्तान के दरबार में जाकर उनसे भगवान की मूर्ति को वापस करने का अनुरोध किया…
सुल्तान ने रामानुज से कहा कि यदि वह भगवान की मूर्ति को लेना चाहते हैं तो मूर्ति स्वचालित रूप से रामानुज के हाथों में आनी चाहिए रामानुज ने भगवान चेलुवा नारायण की स्तुति में एक मधुर गीत गया और भगवान की मूर्ति अपने आप ही उनके हाथों में आ गई
रामानुज ने बड़े प्यार और स्नेह से विष्णु भगवान Lord Vishnu की मूर्ति को गले से लगाया और मूर्ति को मेल कोर्ट वापस ले आए
लेकिन जब यह बात राजकुमारी को पता चली तब वह उसे मूर्ति से विरह को सेह नहीं पाई…
और उसने अन्य जल त्याग दिया
सुल्तान ने जब अपनी बेटी का यह हाल देखा तो उसने तुरंत रामानुज का अनुसार किया और राजकुमारी को मेल कोर्ट भेज दिया राजकुमारी जब मेल को हटाई तो क्योंकि वह एक मुस्लिम लड़की थी तो उसे मंदिर के अंदर प्रवेश करने की अनुमति नहीं मिली
इसलिए राजकुमारी ने मंदिर के सामने ही ध्यान करना शुरू कर दिया
इस घटना की जानकारी मिलने पर रामानुज ने उन्हें मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति दे दी
कहां जाता है कि जब वह मंदिर के अंदर गई तब वह भगवान में ही विलीन हो गई
रामानुज ने तिरुचेलूमा नारायण के दिव्या कमल के चरणों में राजकुमारी बेबी नचियार के एक मूर्ति को स्थापित किया
तब से मंदिर में किया जाने वाला हर प्रसाद पहले बीवी नथियार को चढ़ाया जाता है और उसके बाद ही उसे भगवान को चढ़ाया जाता है
बीवी नचियार को भगवान विष्णु के पत्नी स्वरूप में ही पूजा जाता है….