The Tale of Devayani and Sharmishtha: A Story of Love, Betrayal, and Redemption

The Tale of Devayani and Sharmishtha: A Story of Love, Betrayal, and Redemption

एक राजकुमारी जिसने अपने ही प्रतिशोध में आकर एक राजकुमारी को अपनी दासी बना अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार दी…

ये कहानी है..
दैत्य राज वृषप्वरा की पुत्री शर्मिष्ठा और गुरु शुक्राचार्य की बेटी देवयानी की..

देवयानी और शर्मिष्ठा दोनो ही अपने यौवन काल में बेहद ही कामुक और खूबसूरत युवतियां थी..
एक बार एक तालाब में जब वो दोनो नहा रही थी..
तब गलती से शर्मिष्ठा ने देवयानी के कपड़ो को अपने कपड़े समझ उन्हें पहन लिया..
देवयानी शर्मिष्ठा की इस हरकत से उस से नाराज हो गई..और उसने शर्मिष्ठा पर गुस्सा करते हुए उसे ये एहसास दिलाया की वो एक दैत्य कन्या है और वो उसके यानी की एक ब्राह्मण कन्या के वस्त्र पहनने के लायक नही है..
शर्मिष्ठा देवयानी की ये बात सुन उस पर बेहद गुस्सा हुई..
और इसी गुस्से की वजह से शर्मिष्ठा ने देवयानी को उसकी निर्वस्त्र हालत में उसे कुंए में फेंक दिया..

और वहां से चली गई..

तब वहां नहुष के पुत्र राजा ययाति आए..

और उन्होंने देवयानी की मदद कर उसे कुंए से बाहर निकाला..
देवयानी राजा ययाति पर मोहित हो गई..
और उसने उनसे विवाह करने की अपनी इच्छा उनके सामने जाहिर करी..

राजा ययाति भी देवयानी के प्रस्ताव को ठुकरा नही पाए..

और उन्होंने भी देवयानी से विवाह करने के प्रस्ताव के लिए अपनी हामी भर दी.
इसके बाद जब देवयानी अपने पिता शुक्राचार्य के पास गई और उन्हे शर्मिष्ठा की करनी के बारे में बताया तब शुक्राचार्य ने वृश्वरपा को बुलावा भेज उन्हे उनकी बेटी के किए दुष्कर्म के बारे में बताया..

जिसे सुन कर वृश्वरपा ने अपनी पुत्री के किए गए कर्म के लिए उनसे माफी मांगी..

लेकिन शुक्राचार्य ने फैसला देवयानी पर छोड़ा..

देवयानी शर्मिष्ठा को अपनी दासी के रूप में उमर भर कार्यात होने के लिए कहा..

वृश्वरपा जानते थे की शुक्राचार्य उनके गुरु है और अगर शुक्राचार्य ने उनका साथ छोड़ दिया तो कितनी बड़ी अनहोनी हो सकती है..

इसलिए उन्होंने देवयानी की बात मान शर्मिष्ठा को देवयानी की दासी के रूप मे स्वीकार किया..

जिसके बाद शर्मिष्ठा देवयानी की दासी बनी..
देवयानी का विवाह जब राजा ययाति के साथ हुआ तब शर्मिष्ठा के देवयानी की दासी होने की वजह से उसे भी देवयानी के साथ राजा ययाति के महल में जाना पड़ा..

राजा ययाति स्त्री मोह का आदि था..

और कुछ ही समय में वो शर्मिष्ठा के यौवन पर मोहित हो कर उसके साथ संबंध में आ गया..

जिसके बाद राजा ययाति और शर्मिष्ठा के तीन पुत्र हुए..

वही देवयानी और ययाति के दो पुत्र हुए..

देवयानी को जब ययाति और शर्मिष्ठा के संबंध के बारे में पता चला तो वो इस बात को जान बेहद गुस्सा हो गई..

वो सीधा अपने पिता शुक्राचार्य के पास गई..

और उन्हे अपनी व्यथा के बारे में बताया..

जिसे सुन शुक्राचार्य ने ययाति को जवानी में ही वृद्धावस्था का श्राप दे दिया..

 

Once upon a time, in the kingdom of the demon king Vrishparva, lived his daughter Sharmishtha, and Devayani, the daughter of the sage Shukracharya. Both Sharmishtha and Devayani were incredibly beautiful and passionate young women. One day, while bathing in a pond, Sharmishtha mistakenly wore Devayani’s clothes, which angered Devayani. She scolded Sharmishtha, reminding her that she was a demon’s daughter and not worthy of wearing the garments of a Brahmin girl. Enraged by Devayani’s words, Sharmishtha threw her into a well while she was still undressed and left.

Later, King Yayati, the son of Nahush, arrived at the well. He rescued Devayani and fell in love with her. Devayani expressed her desire to marry him, which Yayati accepted, and they were soon engaged. However, when Devayani went to her father, Shukracharya, and told him about Sharmishtha’s actions, Shukracharya called upon Vrishparva and informed him of his daughter’s misdeeds.

Upon learning the truth, Vrishparva apologized for his daughter’s actions. However, Shukracharya left the decision regarding Devayani’s fate to him. Devayani’s heart was now inclined towards King Yayati. Unable to forsake Shukracharya, Vrishparva accepted Devayani’s proposal for marriage, and Yayati also agreed to marry her. After their marriage, due to Devayani’s servant status, Sharmishtha also had to accompany her to King Yayati’s palace.

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